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राजवाड़ा में मंत्रि-परिषद की ऐतिहासिक बैठक, लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर को श्रद्धांजलि का ऐतिहासिक अवसर

मध्यप्रदेश में एक ऐतिहासिक पहल के तहत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि राज्य मंत्रि-परिषद की अगली बैठक आज इंदौर के राजवाड़ा में आयोजित की जाएगी। यह आयोजन पुण्य श्लोका लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर की 300वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में किया जा रहा है। राजवाड़ा, जो होल्कर वंश की गौरवगाथा का सजीव प्रतीक है, पहली बार किसी कैबिनेट बैठक का साक्षी बनेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इसे ‘पुण्य अवसर’ बताते हुए कहा कि यह बैठक लोकमाता अहिल्या बाई के सुशासन, आत्म-निर्भरता और महिला कल्याण के आदर्शों को सम्मानित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह केवल एक प्रशासनिक आयोजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक स्मरण और प्रेरणा का पर्व होगा। डॉ. यादव ने बताया कि राजवाड़ा का निर्माण मल्हार राव होल्कर ने शुरू किया था और इसे अहिल्या बाई होल्कर ने पूर्ण कराया था। अब उसी ऐतिहासिक धरोहर में कैबिनेट बैठक आयोजित कर सरकार उन्हें नमन करेगी। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इस बैठक में राज्य हित के कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। इस आयोजन को विशेष बनाने वाला एक और पहलू यह है कि 20 मई को न केवल अहिल्या बाई होल्कर की जयंती वर्ष और उनकी विवाह वर्षगांठ है, बल्कि उसी दिन मल्हार राव होल्कर की पुण्यतिथि भी है। ये तीनों तिथियाँ एक साथ आकर इस आयोजन को एक सांस्कृतिक संगम में बदल देती हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि 20 से 31 मई तक पूरे मध्यप्रदेश में सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की श्रृंखला चलेगी। 19 मई को इंदौर में एक विशेष नाट्य प्रस्तुति होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नागपुर से आए कलाकार अहिल्या बाई के जीवन पर लघु नाटिका प्रस्तुत करेंगे। इस प्रस्तुति के माध्यम से लोकमाता के जीवन के प्रेरणादायक क्षणों को जनता के सामने जीवंत किया जाएगा। 31 मई को भोपाल में एक भव्य समापन समारोह का आयोजन होगा, जिसमें अहिल्या बाई के विचारों और कार्यों को आगे बढ़ाने की रूपरेखा प्रस्तुत की जाएगी। डॉ. यादव ने कहा कि लोकमाता अहिल्या बाई न केवल शासन की मिसाल थीं, बल्कि उन्होंने विधवा पुनर्विवाह और सार्वजनिक निर्माण जैसे कार्यों के जरिए समाज को नई दिशा दी। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राज्य सरकार आज भी महिला सशक्तिकरण और जनकल्याण के कार्यों को प्राथमिकता दे रही है। इस समाचार विश्लेषण का लब्बोलुआब यह है कि राजवाड़ा में मंत्रि- परिषद की बैठक एक प्रतीकात्मक कदम भर नहीं, बल्कि यह मध्यप्रदेश सरकार की उस सोच को दर्शाता है, जिसमें इतिहास, संस्कृति और शासन को एकसाथ जोड़कर जनसंवाद और जनहित के निर्णय लिए जा रहे हैं। यह आयोजन न केवल अहिल्या बाई को श्रद्धांजलि है, बल्कि आने वाली पीढिय़ों को उनके विचारों से जोडऩे का प्रयास भी है। मध्यप्रदेश की राजनीति और संस्कृति में यह क्षण निश्चित ही स्मरणीय बनकर उभरेगा।

राजवाड़ा को आधुनिक व पारंपरिक शैली में सजाया गया है। राजवाड़ा में भूतल पर बैठक होगी।
बैठक में विकास, जनकल्याण व सुशासन से जुड़ी योजनाओं पर चर्चा।
अतिथियों का स्वागत मालवी परंपरा अनुसार।
राजवाड़ा परिसर में अस्थायी सचिवालय की स्थापना।
अहिल्याबाई के जीवन व सुशासन पर आधारित प्रदर्शनी।
इंदौर के विकास से जुड़ी प्रदर्शनी भी लगेगी।
दरबार हॉल के पुनस्र्थापन हेतु 11.21 करोड़ रुपये स्वीकृत।
मुख्यमंत्री द्वारा भूमि पूजन प्रस्तावित।

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