केआरबीएल लिमिटेड- इंडिया गेट बासमती राईस ने किया उम्मीद हैं हम पहल का विस्तार
वृन्दावन। कोविड की शुरूआत से ही, इंडिया गेट बासमती राईस भारत के लोगों की सहायता के लिए लाखों ज़रूरतमंदों तक भोजन पहुंचा रहा है। दुनिया के सबसे बड़े राईस मिलर्स-केआरबीएल के प्रमुख ब्राण्ड इंडिया गेट बासमती राईस ने देश भर में ज़रूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने के उद्देश्य के साथ रुउम्मीद हैं हम पहल का लाॅन्च किया। पिछले तीन महीनों में ब्राण्ड 20 से अधिक शहरों में 2.5 मिलियन से अधिक भोजन उपलब्ध करा चुका है। इसी के साथ ब्राण्ड का यह अभियान भोजन दान करने की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा एवं सबसे प्रभावी अभियान बन गया है।
ज़्यादा से ज़्यादा ज़रूरतमंदों तक पहुंचने के लिए केआरबीएल लिमिटेड-इंडिया गेट ने वृन्दावन के आश्रमों एवं वृद्धाश्रमों में रहने वाली असंख्य महिलाओं के लिए भोजन वितरण अभियान का आयोजन किया। कार्यक्रम का आयोजन वृन्दावन के इस्काॅन मंदिर में किया गया, जिसके तहत देवताओं और मंदिरों के इस छोटे से शहर में, कई वृद्धाश्रमों में 2 लाख से अधिक भोजन दिए गए। यह वृन्दावन में रह रही महिलाओं के सहयोग के लिए ब्राण्ड द्वारा आयोजित सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण अभियानों में से एक है।
इनमें से ज़्यादातर वृद्धाश्रम शहर में आने वाले तीर्थयात्रियों द्वारा दी जाने वाली दानराशि पर निर्भर रहते हैं, ऐसे में मौजूदा लाॅकडाउन के दौर में ये वृद्धाश्रम तकरीबन 3 महीनों से अपनी मूल ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी जूझ रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए केआरबीएल ने अपने अभियान रुउम्मीद हैं हम के तहत शेफ विकास खन्ना के सहयोग से इस समुदाय की मदद के लिए हाथ बढ़ाया।
अभियान के बारे में बात करते हुए श्री आयुष गुप्ता, बिजनेस हेड, सेल्स एंड मार्केटिंग (घरेलू बिक्री), केआरबीएल लिमिटेड ने कहा कि, इंडिया गेट एक इंडियन ब्रांड है जो भारतीय मूल्यों को समझता है। अभियान- उम्मीद हैं हम, इस कठिन समय में भारतीयों के समर्थन में खड़े रहने का एक प्रयास है। एक स्वदेशी ब्रांड के रूप में, हमारी जिम्मेदारी है कि हम समाज को कुछ वापस भी करें, विशेष रूप से जरूरतमंद लोगों तक पहुंचना सबसे महत्वपूर्ण है। विस्तार की बात करें तो, यह पहल वृंदावन में महिलाओं की मदद करने तथा उनकी देखभाल करने का प्रयासमात्र है। हम इस पहल पर बहुत गर्व महसूस करते हैं और मानते हैं कि हम अपने कार्यों के माध्यम से, खुद को शेयर करने के पुराने भारतीय मूल्यों- इंडिया की पुरानी आदतश् से बेहतर तालमेल बिठा चुके हैं।
अभियान के बारे में बात करते हुए सीएमडी केआरबीएल- इंडिया गेट बासमती राईस- श्री अनिल मित्तल ने कहा, ‘‘यह हर किसी के लिए मुश्किल समय है, ऐसे में ज़रूरी है कि हम समाज कल्याण के लिए आगे आएं, खासतौर पर ज़रूरतमंद महिलाओं की मदद के लिए हाथ बढ़ाएं। हमारी यह पहल वृन्दावन की उन महिलाओं तक भोजन पहुंचाने के लिए एक प्रयास है। इस पहल का आयोजन करते हुए हमें बेहद गर्व का अनुभव हो रहा है, हमें विश्वास है कि इस तरह के प्रयासों के माध्यम से हम देश के नैतिक मूल्यों के साथ गहराई से जुड़े रहेंगे और समाज के ज़रूरतमंदों एवं वंचितों की मदद के लिए अपना योगदान दे सकेंगे।’’
शेफ विकास खन्ना ने कहा, ‘‘कुछ साझेदारियां कारोबार के दायरे से बाहर होती हैं, ये आपके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाती हैं। मेरे लिए यह एक ऐसी ही साझेदारी है। हमें गर्व है कि हमने लाखों ज़रूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने के लिए काम किया है। इंडिया गेट सही मायनों में समाज कल्याण का प्रतीक रहा है और हम हर थाली तक भोजन पहुंचाने की प्रतिबद्धता के साथ अपने प्रयास जारी रखेंगे। हम इंडिया गेट के प्रति आभारी हैं जिन्होंने इस महामारी के दौरान मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं। उनके सहयोग के बिना यह संभव नहीं था। हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में भी एक दूसरे के साथ काम करते हुए ज़रूरतमंदों तक भोजन पहुंचाते रहेंगे।’’
दुनिया आर्थिक मंदी के दौर से गु़ज़र रही है, ऐसे में काॅर्पोरेट्स की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है, उन्हें न केवल समाज कल्याण के लिए बल्कि अपने स्थानीय समुदाय के कल्याण के लिए भी योगदान देना चाहिए। आज कोविड-19 के खिलाफ़ इस लड़ाई में, भुखमरी एक बड़ी समस्या है, जिससे देश के लाखों लोग जूझ रहे हैं।
इंडिया गेट, भारत के सबसे पुराने और सबसे अग्रणी राईस ब्राण्ड्स में से एक है, जिसने उम्मीद की एक नई किरण ‘उम्मीद हैं हम’ की शुरूआत की है, एक अनूठा अभियान जो सही मायनों में लाखों ज़रूरतमंद परिवारों तक भोजन पहुंचा कर उनके लिए उम्मीद की किरण बना हुआ है। इस पहल के तहत इंडिया गेट रोज़ाना 20,000 से अधिक लोगों तक भोजन पहुचंा रहा है। केआरबीएल लिमिटेड लाॅकडाउन की शुरूआत केे बाद से लाखों लोगों को भोजन उपलब्ध करा चुका है और अपने अभियान रुउम्मीद हैं हम के तहत 20 लाख से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध करा चुका है। इस पहल के तहत वृद्धाश्रमों, अनाथालयों और कुष्ठ केन्द्रों एवं देश के लाखों ऐसे परिवारों तक भोजन पहुंचाया जा रहा है, जो न केवल कोरोना से बल्कि भूख से भी लड़ रहे हैं।