Sat. Jun 14th, 2025

कोरोना के हाहाकार से सहमा बाजार, सेंसेक्स में 1200 अंकों की गिरावट

देश में कोरोना महामारी के कारण मचे हाहाकार के बीच शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली है। हफ्ते के पहले दिन सोमवार को कारोबार शुरू होते ही भारी गिरावट देखने को मिली। बीएसई जहां 1241 अंकों की गिरावट के साथ 47,590.30 के स्तर पर आ गया, वहीं निफ्टी में भी 363 अंकों की गिरावट रही और यहां 14,254 के स्तर पर कारोबार हुआ। जानकारों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी के बेकाबू होने के मिल रहे संकेतों का असर भी बाजार पर देखा जा रहा है।

कोरोना से बिहार के JDU विधायक का निधन, 24 घंटों में आए 8690 केस

बेकाबू होती कोरोना महामारी ने बिहार के जदयू विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. मेवालाल चौधरी की जान ले ली है। बीते दिनों डॉ. मेवालाल चौधरी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद उन्हें पटना के अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। मेवालाल चौधरी मुंगेर के तारापुर से विधायक थेष बता दें, अब बिहार भी उन राज्यों में शामिल हो गया है जहां कोरोना के केस रिकॉर्ड संख्या में सामने आ रहे हैं। बिहार में बीते 24 घंटों में 8690 केस सामने आए हैं। हालात बिगड़ते देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 मई तक नाइट कर्फ्यू का ऐलान किया है।

दूसरी लहर घातक कम, संक्रामक ज्यादा

कोरोना महामारी की दूसरी लहर पिछले साल सितंबर में सामने आई पहली लहर से कई मायनों में अलग है। पहली लहर संक्रामक के साथ-साथ घातक भी थी, लेकिन दूसरी लहर संक्रामक ज्यादा और घातक कम है। इसमें संक्रमितों की संख्या तो ज्यादा तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उसके अनुपात में मौतें कम हो रही हैं। लैंसेट कोविड-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी से अप्रैल के बीच दैनिक मामलों के 10 हजार से 80 हजार पहुंचने में 40 दिन से भी कम समय लगा। जबकि, पिछले साल सितंबर में पहली लहर में 83 दिनों में दैनिक मामलों में इतनी वृद्धि हुई थी। हालांकि, समग्र मामलों की तुलना में मौत का अनुपात (सीएफआर) दूसरी लहर में कम है। पिछले साल मार्च में देश में इस वैश्विक महामारी के सामने आने के बाद सीएफआर करीब 1.3 फीसद था, जबकि इस साल संक्रमित होने वाले मरीजों में यह 0.87 फीसद से भी कम है। साफ है दूसरी लहर में कोरोना वायरस से ज्यादा लोग संक्रमित तो हो रहे हैं, लेकिन उनके अनुपात में मरने वालों की संख्या कम है। हालांकि, अगर संख्या के हिसाब से देखें तो संक्रमण बढ़ने पर दैनिक मृतकों की संख्या भी बढ़ेगी, भले ही सीएफआर कम ही क्यों न रहे।

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