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केबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने शासन को लिखा कड़ा नाराज़गी भरा पत्र,,देखिये पूरी खबर

देहरादून-: गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडलों को जोड़ने वाले वन मार्ग  के लालढांग-चिलरखाल हिस्से के जीर्णाेद्धार को लेकर वन एवं पर्यावरण मंत्री डा हरक सिंह रावत फिर मुखर हुए हैं। कोरोना संक्रमण की चपेट में आए व्यक्तियों का जीवन बचाने के लिए इस मार्ग को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने शासन को कड़ा पत्र लिखा है। साथ ही चेताया है कि इसके जीर्णोद्धार व डामरीकरण में विलंब होने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाला लालढांग-चिलरखाल मार्ग राजाजी टाइगर रिजर्व से सटा है। पूर्व में सरकार ने इस मार्ग के डामरीकरण का निर्णय लिया था। इसके लिए लोनिवि को कार्यदायी संस्था नामित करते हुए उसे वन भूमि हस्तांतरित की गई और डामरीकरण का कार्य भी शुरू कराया गया। तब शासन के निर्देश पर कार्य रोकने के आदेश होने पर डा.रावत ने एक आला अधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोला था। इस बीच मार्ग के जीर्णोद्धार को लेकर कवायद हुई तो इसे लेकर आपत्तियां उठाई जाने लगी हैं।सूरतेहाल, वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने कड़ा रुख अपनाते हुए प्रमुख सचिव वन को पत्र लिखा है। डा.रावत के अनुसार उन्होंने पत्र में कहा है कि यह मार्ग पौड़ी जिले के कोटद्वार को हरिद्वार व देहरादून से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोटद्वार समेत पौड़ी जिले के विभिन्न क्षेत्रों से कोरोना संक्रमित मरीजों को उपचार के लिए ऋषिकेश, देहरादून आने को उप्र के बिजनौर क्षेत्र से होकर गुजरना पड़ रहा है। इससे धन व समय की भी हानि हो रही है। ऐसे में लालढांग-चिलरखाल मार्ग के जीर्णोद्धार व डामरीकरण होने पर मरीजों को सुविधा मिलेगी। लिहाजा, कोविड महामारी की शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस मार्ग का निर्माण और रखरखाव सुनिश्चित कराया जाए।

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