ये शहर हॉकी की नर्सरी:20 साल बाद भोपाल के आखिरी हॉकी ओलिंपियन ने अब फिर थामी स्टिक, ताकि ओलिंपिक के लिए तैयार कर सकें खिलाड़ी

समीर दाद भोपाल के आखिरी हॉकी ओलिंपियन हैं। उन्होंने 2000 सिडनी ओलिंपिक में भारतीय टीम का झंडा बुलंद किया था। इसके बाद भोपाल से कोई भी खिलाड़ी ओलिंपिक तक नहीं पहुंचा है। समीर को अफसोस है कि 20 साल हो गए हॉकी की नर्सरी कहे जाने वाले इस शहर से कोई भी आगे नहीं आ पाया। इसलिए उन्होंने एअर इंडिया से प्रतिनियुक्ति लेकर मप्र खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा संचालित मप्र हॉकी अकादमी सोमवार को ज्वाॅइन कर ली है ताकि अपने बाद रुका ओलिंपिक खेलने का सिलसिला फिर से शुरू हो सके। उन्होंने सोमवार को टीटी नगर स्टेडियम पहुंचकर कोच के रूप में दूसरी पारी शुरू करने की विधिवत कागजी प्रकिया पूरी की। मंगलवार से मैदान संभालेंगे।
दाद ने कहा कि अफसोस है कि 20 साल हो गए भोपाल से एक भी हॉकी खिलाड़ी ओलिंपिक तक नहीं पहुंचा। भोपाल हॉकी में विवाद भी रहा। टूर्नामेंट भी बंद हो गए। कई मैदान खत्म हो गए। यह प्रमुख वजह रही। इसलिए मैंने एअर इंडिया से प्रतिनियुक्ति लेकर हॉकी की नई जिम्मेदारी ली है। मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि अगले ओलिंपिक में भोपाल और मप्र से खिलाड़ी हॉकी खेले। हालांकि टोक्यो ओलिंपिक के लिए भारतीय दल की घोषणा होना बाकी है।
37 दिन बाद ओलिंपिक है, कहा- क्वार्टर फाइनल तो बनता है
भारतीय हॉकी टीम का जिस प्रकार का अभी सीन है उस हिसाब से उसे टोक्यो में क्वार्टर फाइनल खेलना चाहिए। सभी 12 टीमें दो पूल में लीग मुकाबले खेलेंगी। पहले राउंड में चार टीमें बाहर होंगी और आठ क्वार्टर में पहुंचेंगी। इसलिए उम्मीद बनती है कि भारतीय टीम क्वार्टर फाइनल खेल सकती है।
हकीकत है यह कि विदेशी टीमें तीन साल तक अपने प्रमुख खिलाड़ियों को छुपाकर रखती हैं और ऐनवक्त पर उन्हें सामने ले आती है। इसलिए एशियन टीमें उनकी रणनीति में उलझ जाती है। इस बार भी जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, हॉलैंड, इंग्लैंड ऐसा ही करने वाली है।
