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बल्लियों से जिंदगी गुजरने को मजबूर , मानसून ने खड़ी कर दी आफत

उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के कुलागाड़ में पुल बहने के बाद से लोग जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने के लिए मजबूर हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्र में बंद पड़ी सड़कों को खोलने के लिए डोजर चलाने के लिए भी केन से डीजल भेजा जा रहा है।

भारतीय सेना के घोड़ों के लिए भूसा रस्सी के सहारे पार कर पहुंचाया जा रहा है। तल्ला, मल्ला दारमा, तल्ला, मल्ला चौंदास और व्यास घाटी के 60 से अधिक गांवों के लोगों को भारी मुसीबत झेलनी पड़ रही है। पर्वतारोहण के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था सीबीटीएस अस्थायी पुल से आवाजाही में लोगों की मदद कर रही है।पांच दिन पूर्व उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण कुलागाड़ का जलस्तर बढ़ गया था। इस कारण बीआरओ का सीसी पुल बहकर काली नदी में समा गया था। यहां पर एसएसबी, ग्रिफ और भारतीय सेना की टीम ने बिजली के खंभे डालकर अस्थायी आवाजाही के लिए पुल बनाया था। दो दिन पूर्व कुलागाड़ का जलस्तर बढ़ने के कारण वह भी बह गया। इसके बाद दूसरी जगह अस्थायी पुल बनाया गया है।

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