लालू-जगदानंद मुलाकात से तेजस्वी की होगी राह आसान!:लालू चाहते हैं RJD की बागडोर अब उनके छोटे बेटे संभालें, नेता प्रतिपक्ष काे राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने की कवायद तेज
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि इसी सिलसिले में रविवार को पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने मुलाकात की। इस वक्त लालू बीमार चल रहे हैं और वे चाहते हैं कि जगदानंद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहते ही तेजस्वी यादव को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की बागडोर सौंप दी जाए।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, एक बैठक बुलाकर पहले तेजस्वी यादव को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाएगा। कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा और उसमें सभी नियमों का खयाल रखा जाएगा।
एक झटके में तेजस्वी उप मुख्यमंत्री बन गए थे
विधानसभा चुनाव में लेफ्ट पार्टियों को महागठबंधन में शामिल करने का फैसला भी लालू प्रसाद का ही लिया हुआ था। विधानसभा चुनाव में उन्होंने देख लिया कि तेजस्वी ने अपने बलबूते काफी मेहनत करके इतनी सीटें पार्टी और महागठबंधन को दिलाई है। इससे पहले जब तेजस्वी यादव को लालू प्रसाद ने उप मुख्यमंत्री बनवाया था, उसके पहले तेजस्वी की कोई बड़ी भूमिका बिहार की राजनीति में नहीं थी।
परिवारवाद का सवाल उठता रहा है
जिस समय लालू प्रसाद ने अपने दोनों बेटों को राजनीति में प्रवेश दिलाया और एक झटके में एक को उप मुख्यमंत्री और दूसरे को स्वास्थ्य मंत्री बनवाया, उस समय साथ में नीतीश कुमार थे। बाद में JDU और RJD का गठबंधन टूट गया था। उस समय भी लोगों ने सवाल उठाया था कि राजद में परिवारवाद हावी है, लेकिन इस तरह के आरोप का कोई असर लालू प्रसाद पर नहीं पड़ा। परिवारवाद का आरोप तब भी लगा था जब लालू ने प्रसाद ने आनन-फानन में राबड़ी देवी को बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री बनवाया था। बेटी मीसा भारती को राज्यसभा भेजा था।
बड़े बदलाव के संकेत
तेजस्वी यादव को पहले कार्यकारी अध्यक्ष और उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की बागडोर दी जाती है, तब भी परिवारवाद का आरोप लगेगा, लेकिन इसकी परवाह पार्टी के बड़े नेताओं को नहीं है। लालू प्रसाद चाहते हैं कि पार्टी के बड़े फैसले अब तेजस्वी यादव लें और वे संरक्षक की भूमिका में रहें। प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद की दिल्ली में ताजा मुलाकात राष्ट्रीय जनता दल के संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव के संकेत हैं।