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विश्व पटल पर छाएगा माता कौशल्या का एक मात्र मंदिर

रायपुर।  अब वह दिन दूर नहीं, जब भगवान श्रीराम की जननी माता कौशल्या का ऐतिहासिक मंदिर नए रंग रूप के साथ विश्व पटल पर छा जाएगा। राजधानी से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर चंद्रखुरी गांव में स्थित कौशल्या मंदिर के बारे में अब तक सिर्फ छत्तीसगढ़ के लोगों को ही जानकारी थी। संभवतया अगले हफ्ते नए कलेवर में यह मंदिर पुनः आस्तित्व में आ जाएगा।

इस पुरातत्व मंदिर को विश्व स्तर पर प्रसिद्धि दिलाने और देश विदेश से ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। इसी साल 2021 में जीर्णोद्धार करने का कार्य शुरू हुआ था, जो अब अंतिम दौर में है।

पांच तालाबों के बीच टापू पर बना है मंदिर

चंद्रखुरी गांव में पांच तालाबों के बीच टापू पर बने मंदिर में माता कौशल्या की गोद में बालक रूप में भगवान श्रीराम विराजित हैं। मंदिर के चारों तरफ सुंदर एवं मनमोहक उद्यान है। तालाब के एक ओर बीच में शेषनाग की शैय्या पर विराजित भगवान विष्णु के चरण दबाते मां लक्ष्मी की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है। दूसरी ओर समुद्र मंथन करते दानव और देवताओं द्वारा वासुकी नाग को मथनी (रस्सी) बनाकर मथते हुए की प्रतिमाएं भक्तों को लुभाती हैं।

संजीवनी बूटी की पहचान करने वाले वैद्य सुषेण की प्रतिमा

मंदिर परिसर में बने उद्यान में वैद्य सुषेण की प्रतिमा भी है, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ही भगवान श्रीराम के भ्राता लक्ष्मण को संजीवनी बूटी से पुनः स्वस्थ किया था।

हर घर में भांजे को मानते हैं श्रीराम

ऐसी मान्यता है कि रामायणकालीन युग में जिस कौशल प्रदेश का उल्लेख है, वह वर्तमान का छत्तीसगढ़ है। इसे माता कौशल्या का मायका कहा जाता है। आज भी हर परिवार में बहन के पुत्र यानी भांजे को श्रीराम की तरह मानते हुए मामा उनके चरण स्पर्श करते हैं, चाहे भांजा , उम्र में अपने मामा से कितना भी छोटा क्यों न हो।

चंद्रखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर को श्रीराम वन गमन मार्ग के रूप में चयनित किया गया है। इसी के तहत सौंदर्यीकरण का कार्य हुआ है।

51 फीट ऊंची श्रीराम की प्रतिमा

मंदिर परिसर के मुख्य द्वार पर भगवान श्रीराम की 51 फीट ऊंची प्रतिमा बनकर तैयार है, अगले सप्ताह तक यह खड़ी कर दी जाएगी। अभी इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस प्रतिमा को ओडिसा के कलाकारों ने छेनी से पत्थर तराशकर बनाया है। इस पत्थर को बिलासपुर से लाया गया है। इसे बलुआ पत्थर कहा जाता है। यह पत्थर जितना पुराना होता जाएगा, इसकी चमक बढ़ती जाएगी। विशाल प्रतिमा में भगवान श्रीराम ने धनुष धारण कर रखा है।

16 करोड़ की लागत

छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव बताते हैं कि मंदिर के सुंदरीकरण में करीब 16 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। श्रीराम वनगमन मार्ग के तहत छत्तीसगढ़ के 11 स्थलों का सुंदरीकरण किया जा रहा है। इसमें सबसे पहले चंद्रखुरी का कौशल्या मंदिर पूरा होगा। संभव तया इसी नवरात्रि में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लोकार्पण करेंगे।

 

 

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