Wed. Nov 6th, 2024

उत्तराखंड: पेयजल कार्मिकों का संघर्ष लाया रंग, कोषागार से वेतन-पेंशन को लेकर सचिव वित्त के लिखित आश्वासन के बाद आंदोलन स्थगित

 उत्तराखंड पेयजल निगम और जल संस्थान के कार्मिकों को मिलेगा भविष्य में कोषागार से वेतन-पेंशन
– सचिव वित्त अमित नेगी की अध्यक्षता में हुई बैठक, मामले को अगली कैबिनेट बैठक में रखने का लिया गया निर्णय
– कैबिनेट के निर्णय के बाद जारी होगा शासनादेश, वित्त विभाग की सहमति के बाद विधायक उमेश शर्मा ने तुड़वाया अनशन
– आठ दिन तक आमरण अनशन पर डटे रहे जितेंद्र सिंह देव, विधायक काऊ ने निभाई अहम भूमिका
जनपक्ष टुडे ब्यूरो, देहरादून। कोषागार से वेतन-पेंशन जारी करने की मांग को लेकर पेयजल कार्मिकों का संघर्ष आखिरकार रंग ला गया। अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति, पेयजल निगम का आठ दिनों से चला आ रहा आमरण अनशन मंगलवार को समाप्त हो गया। वित्त विभाग की लिखित सहमति के बाद उत्तराखंड पेयजल निगम और जल संस्थान के कार्मिकों को भविष्य में कोषागार से वेतन-पेंशन का भुगतान होने का रास्ता साफ हो गया है। सचिव वित्त अमित नेगी की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में इस पर निर्णय लिया गया है। अगली कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लग जाएगी। लम्बे समय से ना-नुकुर जे बाद आखिर वित्त सचिव मैं गए। उधर, वित्त सचिव का लिखित आश्वासन मिलने के बाद समन्वय समिति ने आमरण अनशन आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा कर दी है। इसके बाद आमरण अनन पर बैठे समन्वय समिति के अध्यक्ष इं. जितेंद्र सिंह देव को अनशन स्थल पर पहुंचे रायपुर विधायक उमेश शर्मा ‘काऊ’ ने जूस पिलाकर भूख हड़ताल समाप्त कराई
समन्वय समिति के बैनर तले पेयजल निगम मुख्यालय में आयोजित अनशन स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने मांग की है कि फिलहाल शासन के निर्णय के बाद आंदोलन को स्थगित किया गया है। जल्द शासनादेश जारी न होने पर फिर से आंदोलन शुरु किया जाएगा। कहा कि अगली कैबिनेट बैठक में मामले में निर्णय न होने पर आंदोलन को फिर जिंदा किया जाएगा।

इससे पूर्व कर्मचारी नेताओं ने आमरण अनशन पर बैठे आंदोलनकारियों के स्वास्थ्य के दृष्टिगत सरकार को अतिशीघ्र शासनादेश निर्गत नहीं करने पर पूरे प्रदेश की पेयजल व्यवस्था ठप करने की चेतावनी दी थी, जिसके बाद सरकार और शासन हरकत में आया। आमरण अनशन पर बैठे अनशनकारी जितेंद्र सिंह देव के स्वास्थ्य में भारी गिरावट आने पर  कर्मचारियों का आक्रोश बढ़ गया, जिसके बाद कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश की पेयजल व्यवस्था ठप करने की चेतावनी दी। अनशन के तीसरे दिन एक अनशनकारी विजय खाली की तबियत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां से उन्हें चिकित्सकों की सलाह पर घर भेज दिया गया। अनशनकारी की हौंसला अफजाही के लिए दो-दो कर्मचारी रोजाना क्रमिक अनशन पर बैठे।

अनशनकारी एवं समन्वय समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह देव ने कहा कि वह आठ दिन से कार्मिकों के संघर्ष के बूते ही अनशन पर डटे रहे। कहा कि आगे भी वह कार्मिकों की लड़ाई लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि वेतन पेंशन को लेकर शासन स्तर पर लिए गए निर्णय का स्वागत करते है, लेकिन यदि जल्द ही निर्णयानुसार मांग पर कार्रवाई नहीं कि गई तो फिर से आमरण अनशन से वह पीछे नहीं हटेंगे।

वित्त सचिव के लिखित आश्वासन के बाद आमरण अनशन को स्थगित करने के लिए विधायक उमेश शर्मा काऊ अनशन स्थल पर पहुंचे, उन्होंने भरोसा दिलाया कि वह कार्मिकों की इस मांग को पूरा कराने का हर सम्भव प्रयास करेंगे। इसके बाद उन्होंने आठ दिन से अनशन पर डटे जितेंद्र सिंह देव को जूस पिलाकर अनशन समाप्त कराया

इस दौरान संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष रमेश बिंजोला, श्याम सिंह नेगी, मंडल अध्यक्ष एवं मीडिया प्रभारी संदीप मल्होत्रा समेत जल निगम के सौरभ शर्मा, रामकुमार, अजय बेलवाल, प्रमोद कोठियाल, भजन सिंह चैहान, गौरव बर्तवाल, लक्ष्मी नारायण भट्ट, विशेष शर्मा, राजेन्द्र सिंह राणा, प्रमोद नौटियाल, धर्मेंद्र चैधरी और कमल कुमार आदि मुख्य रुप से मौजूद रहे।

विधायक काऊ ने अनशनकारी जितेंद्र सिंह को जूस पिलाकर कराया अनशन समाप्त

कार्मिकों की मांग मनवाने में रायपुर विधायक उमेष शर्मा काउ ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने सरकार और षासन के बीच सेतु का काम किया। उन्होंने लगातार षासन और कर्मचारी संगठनों के बीच समन्वय स्थापित किया जिसके एवज में कार्मिकों को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई। षासन स्तर पर लिखित निर्णय लिए जाने के बाद विधायक काउ पेयजल मुख्यालय में चल रहे अनषन स्थल पर पहुंचे, जहां उन्होंने आठ दिन से अनषन पर बैठे समन्वय समिति के अध्यक्ष इं, जितेंद्र सिंह देव को जूस पिलाकर अनषन तुड़वाया। उन्होंने कहा कि यह कार्मिकों की एकता की जीत है। उन्होंने सिर्फ जनप्रतिनिधि होने का दायित्व निभाया। कर्मचारी नेताओं ने भी विधायक का आभार जताया।

सचिव वित्त की अध्यक्षता में हुई अहम बैठक

उत्तराखंड पेयजल निगम अधिकारी कर्मचारी समन्वय समिति का पेयजल निगम एवं जल संस्थान में कोषागार से वेतन पेंशन भुगतान की मांग को लेकर सोमवार को भी आमरण अनशन आंदोलन कार्यक्रम यथावत जारी रहा। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद आमरण अनशन के सातवें दिन विधायक रायपुर उमेश शर्मा काऊ की मध्यस्थता में कर्मचारी संगठनों की सचिव वित्त अमित नेगी की अध्यक्षता में वेतन-पेंशन को कोषागार से देने के लिए बैठक संपन्न हुई। बैठक में कर्मचारी संगठनों द्वारा मुख्य मांग को सचिव वित्त के समक्ष रखा गया। इसके बाद अपर सचिव पेयजल एवं स्वच्छता विभाग उदयराज सिंह ने वस्तु स्थिति से सचिव वित्त को अवगत कराया, जिसके बाद सचिव वित्त ने दो अहम निर्णय लिए।
इस बैठक में सचिव वित्त अमित नेगी के अलावा अपर सचिव एवं प्रबंध निदेशक उदयराज सिंह, मुख्य अभियंता मुख्यालय एससी पंत, मुख्य महाप्रबंधक सुभाष चैहान, मुख्य अभियंता गढ़वाल केके रस्तोगी, अधीक्षण अभियंता एवं महाप्रबंधक भूजल प्रवीण राय, अधिकारी कर्मचारी षिक्षक समन्वय समिति के संयोजक हरीष चंद्र नौटियाल, डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के महासचिव अजय बेलवाल, समन्वय समिति पेयजल निगम के संरक्षक एके चतुर्वेदी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरविंद सजवाण, महामंत्री विजय खाली, सलाहकार धर्मेंद्र चैधरी, डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के पेयजल निगम के अध्यक्ष रामकुमार, उत्तराखंड जल संस्थान कर्मचारी संगठन संयुक्त मोर्चा के मुख्य संयोजक रमेष बिंजौला, संयोजक ष्याम सिंह नेगी मौजूद रहे।

ये लिया गया निर्णय

सचिव वित्त अमित नेगी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि उत्तराखं पेयजल निगम और जल संस्थान के कार्मिकों को देय वेतन और पेंषन कोषागार के माध्यम से प्रदान किए जाने संबंधी प्रकरण प्रषासनिक विभाग है। इसलिए प्रकरण को मंत्रिमंडल की आगामी बैठक में निर्णय के लिए प्रस्तुत  किया जाएगा।
दूसरा निर्णय यह लिया गया कि उत्तराखंड पेयजल निगम को वेतन, पेंषन के भुगतान में विलंब होने के दृष्टिगत सचिव पेयजल विभाग के निवर्तन पर धनराशि की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने के संबंध में व्यवस्था बनाई जाएगी।

सेंटेज व्यवस्था से उत्पन्न हो रही समस्याबता दें कि उत्तराखंड पेयजल निगम में पिछले एक दशक से वेतन-पेंशन चार-चार, पांच-पांच में मिल रही थी। इसके पीछे लचर सैंटेज व्यवस्था मुख्य कारण बताई जा रही है। पेयजल योजनाओं से मिलने वाले 12.5 प्रतिशत सैंटेज से वेतन पेंशन मिलती है, लेकिन कई बार शासन सैंटेज की राशि जारी होने में महीनों लग जाते थे। जबकि कई बार सैंटेज कम होने पर बीच की धनराशि की प्रतिपूर्ति को स्वीकृत करने में भी शासन में महीनों तक फाइल घूमती रहती थी। सेंटेज व्यवस्था समाप्त कर ट्रेजरी से वेतन-पेंशन का भुगतान करने को पेयजल मंत्री ने शासन को निर्देश दिए थे, लेकिन शादन सिर पर वित्त विभाग इस पर अड़ंगा लगाए हुए था। आठ दिन की भूख हड़ताल के बाद आखिर वित्त सचिव का दिल पसीज गया और उन्होंने लिखित सहमति देकर मामले को कैबिनेट से पास कराने पर अपनी सहमति दे दी है। अब कार्मिकों की निगाहें कैबिनेट बैठक पर टिकी है। इसके बाद ही कोषागार से वेतन-पेंशन का शासनादेश जारी होगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *