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विवि भूमि पर लहलहाएंगे सेब के बाग

श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति की योजना परवान चढ़ते ही अब सालों से बंजर पड़ी विश्वविद्यालय की भूमि पर सेब से लकदक पेड़ नजर आएंगे।

घाटी वाले श्रीनगर क्षेत्र की जलवायु को देखते हुए पहले सेब को उगाना एक कल्पना ही मानी जाती थी। कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने ग्रीन कैंपस और स्वस्थ शहर की योजना पर कार्य करते ही विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मिश्रित वन विकसित करने की योजना के साथ ही सेब के पेड़ भी लगाने की कार्ययोजना पर अमल शुरू कर दिया। कुलपति ने इसके लिए बिड़ला परिसर के पीछे की ओर बुघाणी रोड के पास सालों से बंजर पड़ी विश्वविद्यालय की 10 हेक्टेयर जमीन को चयनित कर इसकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप शोध केंद्र हैप्रक संस्थान के वैज्ञानिकों को दी। कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने स्वस्थ शहर की अवधारणा को मूर्त रूप देने को लेकर इस बंजर पड़ी जमीन पर औषधीय और विभिन्न प्रजाति के फलों के पौधों का रोपण करने के साथ ही मिश्रित वन तैयार करने का जिम्मा हैप्रक संस्थान के वरिष्ठ डा. विजयकांत पुरोहित को दिया। जिन्होंने तीन महीने के अल्पकाल में ही औषधीय पादपों के रोपण के साथ ही इस बंजर जमीन पर आडू, नासपाती, पुलम, कीवी के पौधों का रोपण किया।

इसी कार्ययोजना को अमल में लाने के दौरान विवि के वैज्ञानिक डा. पुरोहित को पता चला कि हिमाचल प्रदेश के विलासपुर के किसान हरिमन शर्मा और डा. यशवंत सिंह परमार हार्टिकल्चर विवि नॉनीसोलन द्वारा कम ऊंचाई पर उगाई जाने वाली सेब की प्रजाति हरमन 99, अन्ना, डोरसेट और गेरीगाला विकसित की है। उन्होंने इस सम्बन्ध में तुरंत कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल को प्रस्ताव भेजा जिसे कुलपति ने तत्काल स्वीकृति देते हुए कम ऊंचाई पर उगाई जा सकने वाली सेब की प्रजातियों का रोपण करवाने के निर्देश दिए। जिस पर डा. विजयकांत पुरोहित ने विलासपुर हिमाचल प्रदेश से सेब की इन प्रजातियों की पौधों को योजना के एक अन्य महत्वपूर्ण साथी विवि इंजीनियर महेश डोभाल के सहयोग से सम्बन्धित पौधों को मंगवाया।

विवि का मिश्रित वन शहर के लिए एक सौगात

गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल के विशेष प्रयासों से बिड़ला परिसर के पीछे की ओर बुघाणी रोड पर लगभग 10 हेक्टेयर जमीन पर विकसित हो रहा मिश्रित वन श्रीनगर शहर की जनता के लिए आने वाले समय में एक बड़ा सौगात भी बनने जा रहा है। शहर से लगी इस दस हेक्टेयर जमीन को बंजर से उपजाऊ बनाने को लेकर हैप्रक संस्थान के वैज्ञानिक कुलपति की कार्ययोजना को परवान चढ़ा रहे हैं।

 

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