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उत्तरकाशी: नए स्वरूप में नजर आएगी मनेरी भाली बांध परियोजना, बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए चल रहा काम

भागीरथी (गंगा) पर बना मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना प्रथम चरण का बांध नए स्वरूप में नजर आएगा। इसके स्पिलवे के सामने आने वाली चट्टान हटेगी। इस बांध को देश के बांध सुरक्षा कार्यक्रम को लेकर प्रस्तावित बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना में शामिल किया गया है। जिसमें संभावित बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए बांध की सुरक्षा और मजबूती के लिए यह कार्य किए जा रहे हैं।

जिला मुख्यालय से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित मनेरी में अस्सी के दशक में मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना का पहला बांध बनकर तैयार हुआ था। 40 साल पुराने इस बांध को संभावित बाढ़ के खतरे के बीच सुरक्षा व मजबूती प्रदान करने के लिए बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना द्वितीय चरण में शामिल किया गया है। विश्व बैंक के वित्तीय सहयोग वाली इस परियोजना में मनेरी बांध के चार में से दो स्पिलवे के सामने आने वाली चट्टान को हटाया जा रहा है।

20 मीटर चट्टानी हिस्से को हटाया जा रहा
परियोजना के उप महाप्रबंधक (सिविल) एसके सिंह ने बताया कि बांध के चार स्पिलवे में से दो के सामने चट्टानी हिस्सा आता है। जिससे बाढ़ के दौरान आने वाले बोल्डर आगे नहीं निकल पाते और उनके पीछे टकराने से स्पिलवे व बांध की नींव को खतरा रहता है। बांध सुरक्षा के तहत दोनों स्पिलवे के सामने 20 मीटर चट्टानी हिस्से को हटाया जा रहा है। जिससे बाढ़ के दौरान बांध पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।

18 राज्यों के 300 बांधों होंगे सुरक्षा कार्य
देश के बांध सुरक्षा कार्यक्रम में प्रस्तावित बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना को देशभर के 18 राज्यों के 300 बांधों में लागू किए जाने की संभावना है। इनमें ज्यादातर उन बांधों को चुना जाएगा। जहां बाढ़ के दौरान बांधों के टूटने की आशंका बनी रहती है। ऐसे बांधों के मजबूत होने से संभावित बाढ़ क्षति कम होगी। साथ ही संबंधित बांध से बिजली उत्पादन, जल भंडारण क्षमता में सुधार होगा।

बांध के बारे में
मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना का पहला बांध वर्ष 1984 में बनकर तैयार हुआ था। जो कि 100 सालों के लिए डिजाइन है। अविभाजित उत्तर प्रदेश में इसका निर्माण उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड (यूपीएसईबी) ने किया था। वर्तमान में इस बांध के संचालन व प्रबंधन का जिम्मा यूजेवीएनएल के पास है। 39 मीटर ऊंचा यह रन ऑफ द रिवर डैम है। जिसका पॉवर हाऊस तिलोथ में है। जहां 30-30 मेगावाट की तीन फ्रांसिस टरबाइनों से कुल 90 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है।

क्या होता है स्पिलवे
स्पिलवे एक ऐसी संरचना होती है, जिसका उपयोग बांध के जलाशय से अतिरिक्त पानी को सुरक्षित ढंग से छोड़ने में किया जाता है। प्रत्येक बांध के जलाशय में पानी के भंडारण की एक निश्चित सीमा होती है। भरे हुए जलाशय में जब बाढ़ का पानी आता है तो जलाशय का स्तर ऊपर जाने से बांध टूटने का खतरा रहता है। ऐसी स्थिति में स्पिलवे पानी को सुरक्षित ढंग से छोड़ने के काम में आते हैं।

यह पूरा प्रोजेक्ट विश्व बैंक के मार्गदर्शन में चल रहा है। चट्टानी हिस्से को हटाने के अलावा भी बांध सुरक्षा के लिए जरूरी कार्य किए जायेंगे। जिससे बांध की लाइफ भी बढ़ेगी। -एसके सिंह, उप महाप्रबंधक (सिविल) मनेरी बांध।

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