थामस कप में जीत के बाद भारत को बैडमिंटन महाशक्ति माना जाएगा : प्रकाश पादुकोण
नई दिल्ली। भारतीय बैडमिंटन के पूर्व दिग्गज प्रकाश पादुकोण का मानना है कि थामस कप की ऐतिहासिक जीत से भारत ने इस खेल के वैश्विक पटल पर अपना नाम दर्ज करा लिया क्योंकि यह किसी भी व्यक्तिगत सफलता से काफी बड़ी उपलब्धि है। भारत ने रविवार को थामस कप के फाइनल मुकाबले में 14 बार के चैंपियन इंडोनेशिया को 3-0 से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी।
पादुकोण ने कहा, ‘मुझे उम्मीद नहीं थी कि यह इतनी जल्दी होगा। मुझे लगता था कि इसमें कम से कम और आठ से 10 साल लगेंगे। मेरा मानना है कि हम अब वैश्विक शक्ति बन गए हैं और अब भारत को इस खेल का महाशक्ति माना जाएगा। इससे खेल को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।’ भारत की ओर से पहली बार आल इंग्लैंड चैंपियनशिप (1980) का खिताब जीतने वाले पादुकोण ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह भारतीय बैडमिंटन का स्वर्णिम पल है और इस शानदार सफलता को भुनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘यह एक संपूर्ण टीम प्रयास और एक प्रभावशाली जीत और एक महत्वपूर्ण अवसर था। मुझे लगता है कि यह किसी भी व्यक्तिगत सफलता से भी बड़ा है। हमें इसकी जरूरत थी और मुझे लगता है कि वह पल आ गया जब हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। अब समय इस सफलता को भुनाने का है।’ पादुकोण की अगुआई में भारत 1979 में थामस कप के सेमीफाइनल में पहुंचा था। उन्होंने कहा कि इस जीत का देश में बैडमिंटन के खेल पर काफी प्रभाव पड़ेगा और एक राष्ट्र के रूप में हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हम लय को कम नहीं होने दे। उन्होंने कहा, ‘यह इस खेल को और अधिक लोकप्रिय बनाएगा, खेल के विकास को अधिक गति मिलेगी, इसमें अधिक युवा जुड़ेंगे, अधिक कार्पोरेट और सरकारी मदद मिलेगी। कुल मिलाकर मानक में सुधार होना चाहिए और खेल का ग्राफ ऊपर जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि अब खेल को आगे ले जाने के लिए राष्ट्रीय महासंघों और राज्य संघों की जिम्मेदारी और बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा, ‘इस अवसर का लाभ उठाने की जिम्मेदारी महासंघों और राज्य संघों की होगी। हमें देखना होगा कि अगले पांच से 10 वषरें में हम इसका लाभ कैसे उठा सकते हैं। खेल में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करना महत्वपूर्ण है।’ पादुकोण का मानना है कि सात्विकसाईराज रेंकीरेड्डी और चिराग सेन की डबल्स जोड़ी का उभरना थामस कप में भारत की जीत के प्रमुख कारणों में से एक है। उन्होंने कहा, ‘डबल्स हमेशा से हमारी कमजोरी रही, लेकिन अब हमारे पास ऐसी डबल्स जोड़ी है जो दुनिया में किसी को भी हरा सकती है। पहले सिंगल्स खिलाडि़यों पर बहुत ज्यादा दबाव था लेकिन अब वे खुलकर खेल सकते हैं और थामस कप में कोर्ट पर यह दिखा। जब लक्ष्य को हार का सामना करना पड़ा तभी भारतीय डबल्स जोड़ी जीत दर्ज करने में सफल रही। इसने टीम को एक अच्छा संतुलन प्रदान किया। इस बार सब कुछ एक साथ आया।’