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हिमाचल और गुजरात में रहेगी धामी की धमक, प्रचार अभियान में भरपूर उपयोग करेगी भाजपा

देहरादून : हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की धमक भी खूब रहने वाली है। धामी की अगुआई में भाजपा ने उत्तराखंड में हर पांच साल में सत्ता बदलने का मिथक तोडऩे में सफलता पाई थी।

साथ ही धामी सरकार ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। ऐसे में राजनीतिक रूप से धामी के बढ़े कद को देखते हुए दोनों चुनावी राज्यों में भाजपा उनका भरपूर उपयोग करने जा रही है।

इस दौरान पार्टी जहां डबल इंजन के महत्व को रेखांकित करेगी, वहीं विकास के दृष्टिगत जनता को यह संदेश देने का प्रयास करेगी कि बदलाव न करना ही राज्यों के हित में है। इसके लिए उत्तराखंड को उदाहरण के रूप में पेश किया जाएगा।

विधानसभा की 70 में से 57 सीटें जीतकर इतिहास रचा

उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास को देखें तो वर्ष 2017 से पहले तक यह मिथक बना हुआ था कि हर पांच साल में यहां सत्ता बदल जाती है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल करते हुए विधानसभा की 70 में से 57 सीटें जीतकर इतिहास रचा था

ऐसे में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने यह मिथक तोडऩे की चुनौती थी। डबल इंजन के दम और मुख्यमंत्री धामी की अगुआई में पार्टी ने इसमें सफलता पाई। यद्यपि, उसके पिछले प्रदर्शन के मुकाबले भाजपा की 10 सीटें कम रहीं, लेकिन वह स्पष्ट बहुमत हासिल करने में कामयाब रही।

मिथक तोडऩे वाली जीत का सेहरा स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री धामी के सिर बंधा। यही कारण रहा कि चुनाव हारने के बावजूद पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने धामी पर ही भरोसा जताया। उपचुनाव में धामी ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय को सही ठहराया।

बूथ जीता-चुनाव जीता के मूलमंत्र पर कदम बढ़ाए

इसके साथ ही भाजपा ने उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में बूथ जीता-चुनाव जीता के मूलमंत्र पर कदम बढ़ाए। विधानसभा क्षेत्रवार चुनाव प्रबंधन पर जोर दिया।

यही नहीं, मुख्यमंत्री धामी ने चुनाव के दौरान राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। धामी ने दूसरी पारी की पहली कैबिनेट में ही इस बारे में विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया। समिति लगातार जनता से सुझाव ले रही है। इससे भी देश में अच्छा संदेश गया है।

इस सबको देखते हुए मुख्यमंत्री धामी की छवि और राज्य में डबल इंजन के बूते हुए विकास को हिमाचल प्रदेश व गुजरात के विधानसभा चुनावों में भुनाना चाहती है।

इस कड़ी में राज्य को केंद्र से मिली एक लाख करोड़ से अधिक की योजनाओं का उल्लेख किया जा सकता है। उत्तराखंड भाजपा के प्रांतीय पदाधिकारी जहां हिमाचल में चुनाव प्रबंधन में अहम भूमिका निभा रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री धामी की चुनावी सभाओं का क्रम भी वहां शुरू कर दिया गया है।

बीते दिवस ही धामी ने वहां तीन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में सभाएं की थीं। आने वाले दिनों में उनकी अन्य सभाओं के कार्यक्रम निर्धारित किए जा रहे हैं।

 

पार्टी सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में बूथ स्तर पर चुनाव प्रबंधन की जो रणनीति अपनाई गई थी, वही हिमाचल में भी अपनाई जा रही है। इस सबके पीछे पार्टी की मंशा हिमाचल में भी हर पांच साल में सत्ता बदलने का मिथक तोडऩे की है।

 

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