भूधंसाव से उत्पन्न स्थिति से शासन ने लिया सबक, जिलों से संवेदनशील स्थलों के संबंध में मांगी रिपोर्ट
देहरादून: चमोली जिले के जोशीमठ शहर में भूधंसाव से उत्पन्न स्थिति से शासन ने सबक लिया है। इस कड़ी में सभी जिलों से जोशीमठ जैसे संवेदनशील स्थलों के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद संबंधित क्षेत्रों में उपचारात्मक कदम उठाने को कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
प्रदेश में जोशीमठ जैसे संवेदनशील स्थल कई जिलों में हैं। जोशीमठ के अलावा अल्मोड़ा और नैनीताल के संबंध में पूर्व में विशेषज्ञ कमेटियों ने पड़ताल कर रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। यही नहीं, उत्तरकाशी जिले में वरुणावत पर्वत ट्रीटमेंट का विषय किसी से छिपा नहीं है।
हरादून जिले में मसूरी, पौड़ी जिले में किमसार के पास भी पूर्व में भूधंसाव हुआ था। अन्य जिलों में भी भूधंसाव की बातें छिटपुट रूप से सामने आती रही हैं
इसके अलावा आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में भूस्खलन समेत अन्य आपदाओं के कारण आपदा प्रभावित गांवों की संख्या बढ़कर चार सौ के आसपास पहुंच चुकी है।
आपदा प्रबंधन टास्क फोर्स से ऐसे स्थलों की रिपोर्ट मांगी
जोशीमठ जैसी स्थिति अन्य क्षेत्रों में उत्पन्न न हो, इसे लेकर शासन सतर्क हो गया है। अपर सचिव आपदा प्रबंधन सबिन बंसल के अनुसार सभी जिलों की जिला आपदा प्रबंधन टास्क फोर्स से अपने-अपने क्षेत्र के ऐसे स्थलों की रिपोर्ट मांगी गई है, जो जोशीमठ की तरह संवेदनशील हैं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ऐसे स्थलों के लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोड़ा शहर में भी जोशीमठ की तरह ड्रेनेज सिस्टम न होने से दिक्कतें आ रही थीं। इसे देखते हुए सरकार ने वहां ड्रेनेज सिस्टम के लिए आपदा मद से 21 करोड़ रुपये की डीपीआर स्वीकृत की है। अब जल्द ही अल्मोड़ा का ड्रेनज सिस्टम भी आकार लेगा।