कम बर्फबारी से बिजली उत्पादन को झटका, आने वाले दिनों में झेलनी पड़ेगी पावर कट की मार
देहरादून : ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड में विद्युत उत्पादन निम्नतम स्तर पर है। शीतकाल में बर्फबारी कम होने का असर जल विद्युत गृहों पर दिख रहा है
गर्मी बढ़ने के बावजूद नदियों का जलस्तर नहीं बढ़ रहा है। जिससे क्षमता से एक चौथाई उत्पादन कम हो रहा है। जबकि प्रदेश में विद्युत खपत लगातार बढ़ रही है। आने वाले दिनों में आम उपभोक्ताओं को बिजली कटौती की मार झेलनी पड़ सकती है।
यही वजह है कि जलविद्युत गृह अपनी क्षमता से काफी कम विद्युत उत्पादन कर पा रहे हैं। यही आलम रहा तो आने वाले दिनों में प्रदेश की विद्युत निर्भरता केंद्र सरकार से प्राप्त बिजली और बाजार की खरीद पर बढ़ सकता है। साथ ही पर्याप्त बिजली उपलब्ध न होने की दशा में उपभोक्ताओं को कटौती की मार झेलनी पड़ सकती है। गर्मी चरम पर होने की स्थिति में प्रदेश भीषण बिजली संकट से जूझ सकता है।
- विद्युत गृह, पांच मार्च 2023, पांच मार्च 2022
- छिबरो, 0.95, 1.53
- खोदरी, 0.50, 0.79
- ढकरानी, 0.17, 0.25
- ढालीपुर, 0.30, 0.48
- कुल्हाल, 0.18, 0.35
- मनेरीभाली-1, 0.65, 0.64
- मनेरीभाली-2, 1.17, 1.39
- चीला, 1.87, 2.19
- रामगंगा, 0.00, 2.03
- खटीमा, 0.38, 0.55
- पथरी, 0.37, 0.38
- मोहम्मदपुर, 0.16, 0.18
- गलोगी, 0.02, 0.02
- दुनाऊ, 0.01, 0.00
- पिलंगाड़, 0.02, 0.02
- उरगम, 0.05, 0.03
- कालीगंगा-1, 0.07, 0.01
- कालीगंगा-2, 0.02, —
- व्यासी, 0.14, —
- कुल, 6.93, 10.86
(विद्युत उत्पादन मिलियन यूनिट में है।)
जागरण संवाददाता, देहरादून: प्रदेश के जल विद्युत गृहों में गिरते उत्पादन के मद्देनजर ऊर्जा निगम की चिंता बढ़ने लगी है। विद्युत उपलब्धता के संकट को देखते हुए निगम ने केंद्र से 400 मेगावाट बिजली और देने की गुहार लगाई है। हाल ही में ऊर्जा निगम को केंद्र से 300 मेगावाट अतिरिक्त बिजली आवंटित हुई है। साथ ही डीप पोर्टल से भी निगम 250 मेगावाट बिजली खरीद रहा है। आने वाले दिनों में भीषण गर्मी के बीच निगम ने प्रदेश में 400 से 800 मेगावाट तक बिजली की कमी होने का अंदेशा जताया है
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुरोध पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने मार्च के लिए 300 मेगावाट अतिरिक्त बिजली आवंटन स्वीकृत किया है। लेकिन, प्रदेश की जल विद्युत परियोजनाओं से हो रहे एक चौथाई विद्युत उत्पादन के चलते बिजली का संकट बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में शीतकाल में कम वर्षा व बर्फबारी के कारण नदियों का जल स्तर कम रहने से उत्पादन प्रभावित हुआ है।
ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने कहा कि आगामी दिनों में विद्युत उपलब्धता में कमी 400 मेगावाट तक अनुमानित है जो कि पीक आवर्स में औसतन 800 मेगावाट तक हो सकती है।
तात्कालिक रूप से इस कमी को पूरा करने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से केंद्रीय पूल से मार्च 2024 तक 400 मेवा अतिरिक्त विद्युत कोटा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। साथ ही ऊर्जा निगम की ओर से मध्यम समयावधि के अनुबंधों से भी ऊर्जा की पूर्ति के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आगामी अप्रैल, मई और जून के लिए शार्ट टर्म निविदा भी प्रक्रियाधीन है।
सरप्लस राज्यों से भी बिजली मिलने की उम्मीद
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से पीयूएसएचआइ पोर्टल शुरू किया गया है। जिसके माध्यम से अस्थायी रूप से सरप्लस पावर वाले राज्यों से कमी वाले राज्यों को आवश्यकतानुसार बिजली आवंटित की जा सकेगी। ऊर्जा निगम की ओर से इस व्यवस्था की बारिकियां जानकर लाभ लेने की योजना बनाई जा रही है। साथ ही संकट की स्थिति में उच्च दरों पर विद्युत खरीद के विकल्प पर भी गंभीरता से प्रयास किया जा रहा है