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पंतनगर को आधार बनाकर खड़ा किया कृषि के विकास का मॉडल

पंतनगर (ऊधमसिंह नगर)। हरितक्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन की पंतनगर विश्वविद्यालय से भी यादें जुड़ी हैं। अधिष्ठाता कृषि डॉ. शिवेंद्र कुमार कश्यप ने बताया कि स्वामीनाथन जब 1972 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक बने तब उन्होंने पंतनगर को आधार बनाकर देश के कृषि विकास का मॉडल खड़ा किया। इसकी परिणति देश में हरितक्रांति के रूप में हुई। डॉ. स्वामीनाथन कई बार पंतनगर आए। वह आखिरी बार वह 2003 में पंतनगर आए थे। वर्ष 1989 में उन्हें पंतनगर विवि की ओर से मानद उपाधि से भी विभूषित किया गया था। डॉ. शिवेंद्र कुमार कश्यप ने बताया कि एमएस स्वामीनाथन से उनकी मुलाकात वर्ष 2019 में हुई थी। पंतनगर विश्वविद्यालय को बीज क्रांति के पुरोधा के रूप में खड़ा करने में डॉ. स्वामीनाथन की बड़ी भूमिका थी। तब हरितक्रांति के सूत्रपात के लिए चल रहे प्रयासों में पंतनगर विवि ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और पूरे तराई से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं की बौनी प्रजाति के प्रचार-प्रसार में अभूतपूर्व योगदान दिया। डॉ. स्वामीनाथन पंतनगर की बड़ी भूमिका के पीछे खड़े रहे और विवि के पूरे सोलह हजार एकड़ प्रक्षेत्र में भी इस प्रजाति के बीज पैदा करने का आग्रह करते रहे। उन्होंने पंतनगर में कृषि के पुरोधा नारमन ई. बोरलॉग के साथ मिलकर गेहूं की बौनी प्रजाति पर अभूतपूर्व काम किया। इस काम में उन्होंने क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों की भी मदद ली थी।

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