फसलों की सुरक्षा के लिए वरदान बनेगा कैमोमाइल फूल
चंपावत। जिले में जंगली जानवरों के आतंक के कारण खेती किसानी को छोड़ने को विवश काश्तकारों के लिए अच्छी खबर है अब जिले में काश्तकारों की फसलों की सुरक्षा के लिए कैमोमाइल फूल की प्रजाति वरदान बनेगी। इसके लिए केंद्रीय औषधीय और सगंध पादप संस्थान (सीमैप) लखनऊ की ओर से प्रायोगिक तौर पर जिले के 20 काश्तकारों को कैमोमाइल के बीज उपलब्ध कराए गए हैं।
फसलों और अन्य प्रकार की खेती को जंगली जानवरों से बचाने के लिए कैमोमाइल फूल खेतों की बाड़ के रूप में करेंगे। सीमैप के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मनोज सेमवाल के अनुसार कैमोमाइल फूल की सुगंध के कारण जंगली जानवर खेती को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं। चंपावत जिले में जंगली जानवरों से खेती किसानी छोड़ने वाले काश्तकारों की बेहतरी के लिए कैमोमाइल को बढ़ावा देने के साथ ही सीमैप के जरिये हर संभावना में कार्य करते हुए वैज्ञानिक सोच को खेतों तक पहुंचाया जा रहा है।
सीमैप के अलावा कृषि विज्ञान केंद्र में भी हो चुका है अनुसंधान
चंपावत। सीमैप के अलावा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की ओर से भी कैमोमाइल प्रजाति पर काफी शोध कार्य किया जा चुका है। कैमोमाइल प्रजाति पर शोध कर चुके केवीके के वैज्ञानिक डॉ. भूपेंद्र सिंह खड़ायत के अनुसार जंगलों में भोजन के अभाव और भोजन की तलाश में जंगली जानवर किसानों के खेतों तक पहुंच जाते हैं। ऐसे में जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए कैमोमाइल का फूल बेहद कारगर है।