देश के सबसे ऊंचे बांध में समा चुके पुरानी घंटाघर की याद में विस्थापित क्षेत्र अठूरवाला में एक दूसरा घंटाघर बनाने की तैयारी की जा रही है। क्षेत्रीय विधायक ने इसका प्रस्ताव मुख्यमंत्री को दिया है। जिसे जल्द ही स्वीकृति मिलने की संभावना जताई जा रही है। टिहरी बांध बनाने के लिए 14 गांवों के करीब 750 परिवारों को 1980 में देहरादून एयरपोर्ट के पास जंगल काटकर बसाया गया था। जिसे 19 नवंबर 1990 में अठूरवाला राजस्व ग्राम का दर्जा दिया गया था। वर्तमान में अठूरवाला में मूल विस्थापितों के लगभग तीन हजार परिवार निवास कर रहे हैं। इससे अधिक गैर विस्थापित लोग यहां बस चुके हैं। जिससे अठूरवाला की कुल आबादी बीस हजार के करीब हो चुकी है। चार दशक बीतने के बावजूद अठूरवाला के लोगों के मन में टिहरी की यादें बसी हुई हैं। विस्थापित लोग समय- समय पर डूबी टिहरी की याद में टिहरी महोत्सव का आयोजन भी करते हैं। क्षेत्रीय विधायक बृजभूषण गैरोला ने अठूरवाला में एक घंटाघर बनाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को दिया है। प्रस्ताव को जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।पूर्व प्रधान पुरुषोत्तम डोभाल, गजेंद्र रावत और सुमेर नेगी आदि कहते हैं कि देश की उन्नति की खातिर उन्होंने अपने घर, खेत खलियान सब दे दिए। आज भी टिहरी शहर और घंटाघर उनकी यादों में बसा है। ज्यादातर लोगों ने इनकी फोटो भी अपने घरों में लगाई हुई हैं। विधायक का घंटाघर बनाने संबंधी प्रस्ताव सराहनीय है।
टिहरी से अठूरवाला में विस्थापित हुई 14 गांव खांड, कंडल, जोगियाणा, कोटी, बालसी, पंचकोट, पजाऊ, सुनारगांव, मोलधार, बौराडी, कुलणा, बागी, गाजणा, थापला के सैकड़ों परिवारों के लिए घंटाघर बनाया जाएगा।
टिहरी रियासत के महाराजा कीर्ति शाह ने 1897 में टिहरी शहर में 110 फीट ऊंचे घंटाघर का निर्माण कराया था। जबकि 30 दिसंबर 1815 में महाराजा सुदर्शन शाह ने भागीरथी और भिलंगना नदी के संगम पर टिहरी शहर बसाया था। देश का सबसे ऊंचा बांध बनाने के लिए 29 अक्टूबर 2005 में टिहरी शहर और घंटाघर को जल समाधि दे दी गई थी।
जब भी अठूरवाला के लोगों से टिहरी को लेकर बात करता हूं तो उनका दर्द साफ झलकता है। इसलिए इन 14 गांवों के लिए अठूरवाला में घंटाघर बनाने का फैसला किया है। जिसका प्रस्ताव मुख्यमंत्री को दिया गया है। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि जल्द ही प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी। – बृजभूषण गैरोला, विधायक डोईवालाI