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जेल में कानून की किताबें पढ़ रहा आफताब वकील पेशी पर नहीं आ रहे, पिता बोले- फैसला आए तो श्रद्धा का अंतिम संस्कार करूं

तारीख- 7 मार्च, जगह- दिल्ली का साकेत कोर्ट। कुछ पुलिसवाले कोर्ट रूम से आफताब को लेकर निकले। वही आफताब, जिस पर अपनी लिव इन पार्टनर श्रद्धा वालकर के मर्डर और डेडबॉडी के 35 टुकड़े करने का आरोप है। तीन महीने पहले तक दुबला-पतला दिखने वाला आफताब काफी हेल्दी हो गया है। हाथ में कोई किताब थी। एक पुलिसवाले ने बताया कि आफताब आजकल कानून की किताबें पढ़ रहा है।

12 नवंबर, 2022 को दिल्ली पुलिस ने छतरपुर इलाके से आफताब को अरेस्ट किया था। दो साल हो गए, ये केस अब भी चल रहा है। श्रद्धा के पिता विकास वालकर तारीख पर मुंबई से दिल्ली आते हैं, लेकिन निराश होकर लौट जाते हैं।

विकास कहते हैं- ‘मुझे बेटी की आत्मा की शांति के लिए उसका अंतिम संस्कार करना है। श्रद्धा की अस्थियां केस प्रॉपर्टी हैं। जब तक फैसला नहीं आएगा, तब तक उन्हें विसर्जित नहीं कर पाऊंगा। कोर्ट तो ठीक से सुनवाई कर रहा है, लेकिन आफताब के वकील सुनवाई में नहीं आते।’

श्रद्धा के पिता बोले- मैं मुंबई से आता हूं, आफताब के लॉयर दिल्ली में ही नहीं आ पाते
आफताब ने पूछताछ में कबूल किया था कि उसने 18 मई, 2022 को गला घोंटकर श्रद्धा की हत्या की थी। फिर श्रद्धा की लाश के 35 टुकड़े किए। उन्हें रखने के लिए 300 लीटर का नया फ्रिज खरीदा। लाश का चेहरा जलाया, जिससे कोई पहचान न सके।

लाश को काटने के दौरान बीयर पीता रहा, जोमैटो से खाना मंगाकर खाता रहा। अगले 18 दिन तक रोज रात को 12 बजे निकलता और लाश के टुकड़े छतरपुर के जंगल में फेंक आता। कुछ हड्डियां बड़ी थीं, तो उन्हें ग्राइंड करके फेंका। मुंबई में श्रद्धा की गुमशुदगी का केस दर्ज होने के बाद मर्डर का खुलासा हुआ।

श्रद्धा के पिता बोले- मैं मुंबई से आता हूं, आफताब के लॉयर दिल्ली में ही नहीं आ पाते
आफताब ने पूछताछ में कबूल किया था कि उसने 18 मई, 2022 को गला घोंटकर श्रद्धा की हत्या की थी। फिर श्रद्धा की लाश के 35 टुकड़े किए। उन्हें रखने के लिए 300 लीटर का नया फ्रिज खरीदा। लाश का चेहरा जलाया, जिससे कोई पहचान न सके।

लाश को काटने के दौरान बीयर पीता रहा, जोमैटो से खाना मंगाकर खाता रहा। अगले 18 दिन तक रोज रात को 12 बजे निकलता और लाश के टुकड़े छतरपुर के जंगल में फेंक आता। कुछ हड्डियां बड़ी थीं, तो उन्हें ग्राइंड करके फेंका। मुंबई में श्रद्धा की गुमशुदगी का केस दर्ज होने के बाद मर्डर का खुलासा हुआ।

फैसले के बाद श्रद्धा के नाम पर ट्रस्ट बनाएंगे
विकास वालकर कहते हैं, ‘मेरी बेटी को बहुत क्रूरता से मारा गया है। उसकी शांति बहुत जरूरी है। अंतिम क्रिया होने तक उसे शांति नहीं मिलेगी। अंतिम संस्कार तभी होगा, जब उस दरिंदे को फांसी मिलेगी।’

विकास कहते हैं, ‘केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में है। जज भी अच्छी तरह सुनवाई कर रही हैं, बस आफताब के लॉयर की वजह से फैसला अटक रहा है। फैसला हो जाए तो मैं श्रद्धा के नाम से एक ट्रस्ट बनाऊंगा। श्रद्धा जैसी उन लड़कियों की मदद करूंगा, जो किसी अपराधी के चंगुल में हैं या फिर उनके साथ क्रूरता हो रही होगी। मेरी कोशिश होगी कि श्रद्धा जैसा किसी और बेटी के साथ न हो।’

सीमा कुशवाहा कहती हैं, ’26-27 फरवरी को 6-7 गवाह आए थे। ज्यादातर गवाह महाराष्ट्र के हैं। ये सभी बहुत अहम गवाह हैं। कई बार बुलाने पर दिल्ली आ पाते हैं। गवाहों के अलावा श्रद्धा के पिता भी आए थे। तब भी आफताब के लॉयर दोनों तारीखों पर मौजूद नहीं रहे। सीनियर काउंसिल का मौजूद न होना बताता है कि ये केस के फैसले को टालने की कोशिश है।’

फैसला आने में 3-4 महीने लगेंगे, श्रद्धा के दोषी के लिए फांसी ही चाहिए
सीमा कुशवाहा कहती हैं, ‘हम चाहते हैं कि आफताब को फांसी की सजा मिले। ये केस रेयर ऑफ द रेयरेस्ट है। ये हम साबित कर रहे हैं। हमें आरोपी के लिए फांसी की सजा ही चाहिए। श्रद्धा को सिर्फ मारा नहीं गया, बल्कि उसके साथ क्रूरता की सीमाएं लांघ दी गईं। उसका कत्ल हुआ, शरीर के 35 टुकड़े किए गए। उन्हें एक-एक कर फेंका गया। अपराधी चैन से सोता और खाता रहा।’

फैसला आने में कितना वक्त और लगेगा? सीमा कुशवाहा कहती हैं, ‘3-4 महीने तो औ आफताब ने दिल्ली हाईकोर्ट में हैबियस कार्पस याचिका लगाई थी। इसमें कहा था कि सुरक्षा के नाम पर उसे 22 घंटे अकेले सेल में रखा जाता है। हाईकोर्ट ने 14 मार्च को तिहाड़ जेल प्रशासन को आदेश दिया कि जेल के नियमों के मुताबिक, दिन में आफताब को 8 घंटे के लिए सेल से निकाला जाए। इससे पहले उसे एक घंटा सुबह और एक घंटा शाम को ही निकाला जाता था। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि रात में आफताब को सेल में ही रहना होगा।र लगेंगे ही। केस फास्ट ट्रैक में है, लेकिन गवाह बहुत ज्यादा हैं। दोनों तरफ के लॉयर उनसे सवाल-जवाब करेंगे। इसलिए अभी कुछ वक्त और लगेगा।’

 

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