विदेशी वैरिएंट ने झारखंड में लोगों की ली जान
अप्रैल में ही रांची और जमशेदपुर के मरीजों में UK और डबल म्यूटेंट मरीज मिले थे। यहां के 13 सैंपल में से नाै में UK म्यूटेंट स्ट्रेन और चार में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन पाया गया था
झारखंड में कोरोना के काबू में लाने की कोशिश के बीच एक नया खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक, यहां कोरोना के 7 तरह के वैरिएंट एक्टिव थे। इसमें भारत के 5 अलग-अलग वैरिएंट के साथ UK और साउथ एशियन वैरिएंट भी शामिल हैं। इसका खुलासा लाइफ साइंस लैबोरेट्री भुवनेश्वर की जांच रिपोर्ट से हुई है।
हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक, झारखंड में कोरोना की दूसरी लहर 1 अप्रैल से शुरू हुई। इन वैरिएंट ने उसी दौरान झारखंड में प्रवेश किया था। अधिकारियों के मुताबिक, जिन लोगों का सैंपल जांच के लिए भुवनेश्वर भेजा गया था, उनका स्वाब कलेक्शन 9 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच हुआ था। 15 मई को उनकी जांच रिपोर्ट जारी हुई थी।
अप्रैल में राज्यभर से भेजे गए थे सैंपल
अप्रैल में झारखंड के अलग-अलग राज्यों से सैंपल जांच के लिए भुवनेश्वर भेजे गए थे। इसी के तहत धनबाद से भी सैंपल भेजे गए थे। भुवनेश्वर में हुई इस जांच में धनबाद के सैंपल में इंडियन वैरिएंट के साथ विदेशी वैरिएंट भी पाए गए थे। डॉक्टरों ने कहा था कि ये वायरस राज्य में म्यूटेट भी कर रहा था। धनबाद के अधिकारियों का मानना है कि कोरोना के अलग वायरस ज्यादातर प्रवासी लोगों में ही पाए गए थे। ये लोग दिल्ली, मुंबई समेत अन्य बड़े शहरों से झारखंड आए थे।
रांची और जमशेदपुर में मिला था UK स्ट्रेन
अप्रैल में ही रांची और जमशेदपुर के मरीजों में UK और डबल म्यूटेंट मरीज मिले थे। यहां के 13 सैंपल में से नाै में UK स्ट्रेन और चार में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन पाया गया था। जिन मरीजाें के सैंपल में UK स्ट्रेन मिले, उनमें आठ रांची और एक जमशेदपुर के थे। वहीं, जिनके सैंपल में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन मिला, उनमें तीन रांची और एक पूर्वी सिंहभूम के थे।
56% से ज्यादा मौतें भी इन्हीं तीन जिलों में
1 अप्रैल से 30 मई यानी दूसरी लहर में हुई कुल मौतों में से 56% उन्हीं तीन जिलों में हुईं, जहां विदेशी वैरिएंट की पुष्टि हुई। इस दौरान राज्य में 3,863 मौतें हुई हैं। इनमें सबसे ज्यादा 1,280 मौतें रांची में हुई हैं। वहीं, जमशेदपुर में इस दौरान 640 और धनबाद में 253 मौतें हुई हैं।
25 दिन बाद सैंपल की रिपोर्ट मिल गई थी
डॉक्टर एस एन मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल (SNMCH) के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के HOD डॉ. सुजीत तिवारी ने बताया कि कि केंद्र सरकार के निर्देश के आधार पर धनबाद से सैंपल भुवनेश्वर लैब में भेजे गए थे। इनमें सभी सैंपल CT स्कोर 22 से ज्यादा वाले थे। जिनमें विदेशी म्यूटेंट पाए गए थे। इनकी रिपोर्ट 25 दिन बाद मिल गई थी।