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शहरों में पट्टे देने के लिए बदला कानून:यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल बोले- 69A जादुई धारा है, बीजेपी राज में उपयोग नहीं कर पाए, लेकिन अब ‘जादूगर’ करेगा

जयपुर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि मैं आज भी यह बात दोहराता हूं कि 69A जादुई धारा है, लेकिन बीजेपी राज में इसका उपयोग नहीं कर पाए। बीजेपी इस पर काम नहीं कर पाई, लेकिन जादूगर (सीएम गहलोत) करेगा। बीजेपी राज में तो एक ही पट्टा भारी मिल गया, सब उसी में उलझ कर रह गए। अक्टूबर से शुरू हो रहे प्रशासन शहरों के संग अभियान में 10 लाख पट्टे दिए जाएंगे। इसके लिए विधियां संशोधन बिल विधानसभा में पारित हो चुका है।

धारीवाल ने कहा कि प्रशासन शहरों के संग अभियान से पहले नगर मित्र लगाने के लिए विज्ञापन निकाला है, उनकी योग्यता तय की है। कांग्रेस कार्यकर्ता तो पहले से नगर मित्र हैं, ग्रामीण मित्र भी हैं। बीजेपी के लोग तो पुजारियों में ही उलझे हुए हैं। अभियान में पट्टा देने के लिए प्रक्रिया तय की है। अगर चेयरमैन ने 15 दिन में पट्टे पर साइन नहीं किए तो 15 दिन में शहरी निकाय के ईओ के दस्तखत से जारी पट्टा मान्य होगा। चेयरमैन के दस्तखत की जरूरत नहीं रहेगी। कई बार राजनीतिक रंजिश के चलते निकायों के अध्यक्ष पट्टे पर साइन नहीं करते। अभियान में हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक ही पट्टे दिए जाएंगे। नदी, नाले, इकॉलोजिकल जोन सहित प्रतिबंधित किसी क्षेत्र में पट्टे नहीं दिए जाएंगे।

फ्री होल्ड पट्‌टे दिए जाएंगे
धारीवाल ने कहा कि प्रदेश में ऐसे कई लोग हैं, जो शहरी क्षेत्रों में पुरानी आबादी और गैर-कृषि भूमि पर अधिकार के साथ काबिज है, लेकिन उनके पास पट्टा नहीं है। ऐसे लोगों को अपने अधिकार सरेंडर करने पर फ्री होल्ड पट्टा दिया जाएगा। यदि किसी व्यक्ति के पास अन्य कानून के अधीन जारी कोई पट्टा या आदेश है, जिसमें जमीन आवंटित हुई है। ऐसे में उसे अपने अधिकार समर्पित करने के बाद फ्री होल्ड पट्टा देने का प्रावधान किया गया है। इसके कारण वह लैंड होल्डर उन लाभों का उपयोग कर पाएगा जो एक फ्री लैंड होल्डर के होते हैं। इसे देखते हुए जयपुर विकास प्राधिकरण, जोधपुर विकास प्राधिकरण, अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर सुधार न्यास और नगर पालिका एक्ट में संशोधन किए हैं। इन संशोधनों के बाद अफोर्डेबल हाउसेज की कमी पूरी हो सकेगी।

सार्वजनिक काम की सभी जमीन अब यूआईटी, प्राधिकरण के हवाले
धारीवाल ने कहा कि साथ यूआईटी एक्ट की धारा 43 को बदल कर यह प्रावधान किया गया है कि सड़कें, रास्ते आदि सार्वजनिक उपयोग की जमीनें, गोचर, श्मशान, कब्रिस्तान सहित सामुदायिक उपयोग की सभी जमीनें अब यूआईटी में समाहित मानी जाएंगी। इसके लिए राज्य सरकार को अधिसूचना जारी करने की जरूरत अब नहीं होगी। नजूल प्रॉपर्टीज को इनसे अलग रखा है।

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