ग्राम पंचायतों ने खुद की 136 नर्सरी तैयार की, फलदार व छायादार पौधे बेचकर इनकम भी बढ़ाई
कोटा जिला परिषद ने ग्राम पंचायतों का खर्च कम करने व इनकम बढ़ाने के लिए नवाचार किया है। मिशन मोड़ पर सभी ब्लॉक में करीब 136 नर्सरियां तैयार करवाई है। इनमें फलदार व छायादार पौधे तैयार किए जा रहे है। साथ ही ग्राम पंचायतों में निर्देश दिए है कि पंचायत स्तर पर होने प्रशासनिक व राजनीतिक कार्यक्रमों अतिथियों का स्वागत माला के बजाय नर्सरी के पौधे से किया जाए। जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी ममता तिवाड़ी का कहना है इस नवाचार से पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ पंचायतों की आय भी बढ़ रही है।
ग्राम सेवक व LDC ले रहे ट्रेनिग
ममता तिवाड़ी ने कहा कि साल 2021-22 में 28 नर्सरी तैयार करवाई थी। रिजल्ट अच्छा मिलने पर साल 2022-23 में मिशन मोड़ पर लेकर सभी पंचायतों में नर्सरी डेवलप करने का काम शुरू किया गया। इसके लिए ग्राम सेवक व LDC को कृषि विज्ञान केंद्र के सब्जेक्ट एक्सपर्ट से ट्रेनिंग दिलवाई गई। अब तो स्थिति ये है कि पंचायतों में बेहतर नर्सरी डेवलप आपस मे कम्पीटिशन होने लगा है।
क्यों पड़ी जरूरत
हर साल वृक्षारोपण के कार्यक्रम आते हैं। वृक्षारोपण के लिए वन विभाग की नर्सरी व प्राइवेट नर्सरी पर निर्भर रहना पड़ता था। प्राइवेट नर्सरी से महंगे पौधे खरीदने पड़ते थे। कई बार पौधे लगाने के बाद उनकी सही से देखरेख नहीं हो पाती थी। पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ, पंचायत स्तर पर होने कार्यक्रमों में अतिथियों के स्वागत के लिए गुलदस्ता व माला खरीदनी पड़ती थी। इसमें पंचायत का पैसा खर्च होता था। इन सभी चुनोतियों से निपटने के लिए पंचायत स्तर पर नर्सरी लगवाने का काम शुरू किया गया। जिन पंचायतों में जगह ज्यादा है वहां पंचायत कैंपस में ही नर्सरी तैयार करवाई गई। जिन पंचायतों में जगह की कमी थी, उन पंचायतों में चारागाह व खाली पड़ी जगह में जमीन में नर्सरी तैयार करवाई गई। नर्सरी की देखरेख के लिए मनरेगा से मजदूर लगाए गए। इन तैयार पौधों को बेचा भी जा रहा है। रात्रि चौपाल में भी नर्सरी के पौधे भेंट करके अतिथियों का स्वागत किया जा रहा है