हिंदी दिवस 2024 हिंदी साहित्य में इन पांच लेखिकाओं का है विशेष योगदान, जानिए सबके बारे में
भारत में हर साल 14 सितंबर का दिन राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजी की बढ़ती मांग के कारण स्वदेश में ही हिंदी का इस्तेमाल कम होने लगा है। ऐसे में हिंदी के महत्व व उपयोगिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी बहुत ही समृद्ध है, जो कि भाषा के जरिए देश विदेश में बसे लोगों को जोड़ने का एक जरिया है।
हिंदी की समृद्धता का आकलन इस बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय साहित्य में हिंदी विशेष योगदान दे रही है। हिंदी साहित्य में लिखी गईं बहुत सारी रचनाएं विश्व प्रसिद्ध हैं। वैसे तो हिंदी साहित्य पर पुरुषों का दबदबा शुरू से रहा लेकिन बहुत सी महिला लेखिकाओं और कवयित्रियों ने न केवल अपना स्थान बनाया, बल्कि हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने में खास भूमिका निभाई। अपनी लेखनी से उन्होंने महिला समस्याओं को बहुत प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया।मीराबाई से लेकर अमृता प्रीतम और महादेवी वर्मा से सुभद्रा कुमारी चौहान समेत कई महिला लेखिकाओं और कवयित्रियों की रचनाएं स्कूल के पाठ्यक्रम में भी शामिल हैं। हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी साहित्य में योगदान देने वाली महिला लेखिकाओं और कवयित्रियों के बारे में जानिए।
हिंदी की पांच लेखिकाएं
महादेवी वर्मा
हिंदी साहित्य के छायावादी युग की सबसे प्रमुख साहित्यकारों में महादेवी वर्मा का नाम शामिल हैं। वह हिंदी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक हैं। वह खड़ी बोली हिंदी में कोमल शब्दावली का उपयोग करती थीं। उन्होंने महिला स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए अपने लेखन के जरिए आवाज उठाई। महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं हैं, आत्मिका, परिक्रमा, संधिनी, यामा, गीतपर्व, दीपगीत, स्मारिका, नीलांबरा।
शिवानी
शिवानी हिंदी की प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी से बहुत शानदार कृतियां हिंदी साहित्य को समर्पित कीं। शिवानी हिंदी साहित्य की वह लेखिका थीं, जिनकी हिंदी के साथ ही संस्कृत, गुजराती, बंगाली, उर्दू और अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ थी। शिवानी की ज्यादातर किताबों में भारत के कुमाऊं की संस्कृति पढ़ने को मिलती है। उनके अधिकतर उपन्यास और कहानियां नारी प्रधान रहीं।
गीतांजलि श्री
गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ जिसका अंग्रेजी अनुवाद ‘Tomb Of Sand’ है, ने साल 202 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतकर इतिहास रच दिया। उनके लेख के जरिए विभाजन के बाद भारत के बारे में अंतर्दृष्टि पूर्ण खोज वैश्विक दर्शकों तक पहुंचा, जो हिंदी साहित्य के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।
मनु भंडारी
मनु भंडारी नई कहानी साहित्यिक आंदोलन की एक प्रमुख लेखिका हैं, जिनके ‘महाभोज’ और ‘आपका बंटी’ जैसी कृतियाँ भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य की आलोचनात्मक रचनाएं हैं। उनकी कहानी कहने की कला, अपनी सुस्पष्टता और गहराई के लिए जानी जाती है। मनु भंडारी राजनीतिक और सामाजिक संरचनाओं की पेचीदगियों को कुशलता से विच्छेदित करती है, जिस ने उन्हें समकालीन हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।
अमृता प्रीतम
दिल को छू लेने वाले साहित्य की बात हो तो अमृता प्रीतम का नाम आना जरूरी है। वह एक उपन्यासकार और कवयित्री थीं। उन्होंने हिंदी और पंजाबी दोनों भाषाओं में लेखन कार्य किया। उन्हें पहली पंजाबी महिला कवि भी माना जाता है। विभाजन के दौर की उनकी कहानी पिंजर में महिलाओं की स्थिति को लिखा गया है।