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राजस्थान में सबसे गर्म बीकानेर:प्रदेश में सबसे ज्यादा तापमान बीकानेर का, पारा 44.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा, मौसम विभाग को आज भी बारिश की कोई खास उम्मीद नहीं

बीकानेर में मानसून 10-11 जुलाई को आना था लेकिन धीमी पड़ी गति ने फिर बादलों को बीकानेर से दूर कर दिया है। रविवार शाम को बादल आए भी, कहीं-कहीं बरसे भी लेकिन शहर का अधिकांश हिस्सा तरसता ही रह गया। तेज गर्मी ने न सिर्फ आम आदमी को बल्कि किसान के लिए बड़ा संकट खड़ा कर दिया है।

पिछले चौबीस घंटे में बीकानेर में अधिकतम तापमान 44.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो प्रदेशभर में सर्वाधिक है। वहीं न्यूनतम तापमान भी 29.5 डिग्री सेल्सियस रहा। शाम को हुई सामान्य बारिश के कारण कुछ देर के लिए पारा कम हुआ लेकिन बाद में फिर बढ़ गया। सोमवार सुबह भी आसमान एकदम साफ है और कहीं से बारिश की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। कमोबेश ऐसे ही हालात संभाग के चुरू और श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ के हैं। बीकानेर संभाग के चारों जिले बारिश के लिए तरस रहे हैं। सबसे ज्यादा विकट स्थिति बीकानेर में है, जहां नहरी क्षेत्र कम है और बारानी क्षेत्र अधिक है। ऐसे में जिन किसानों ने प्री मानसून में बुवाई कर दी, उन्हें अब बीज का पैसा निकालना भी मुश्किल हो रहा है।

नहरों में भी पानी कम

बीकानेर संभाग में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ व बीकानेर का बड़ा हिस्सा नहरी सिंचाई का है। इस बार नहर में भी पानी कम है। भाखड़ा और पोंग डेम से पानी इन जिलों में इंदिरा गांधी नहर से पहुंचता है। इन दोनों डेम में पानी गत वर्ष की तुलना में काफी कम है। कल तक भाखड़ा में 1536 फीट पानी था, जबकि इसी बांध में पिछले साल 1591 फीट पानी था। वहीं पोंग डेम में 1334 फिट पानी पिछले साथ था, इस बार यहां सिर्फ 1277 फीट पानी है।

कहां कितनी बुवाई

बीकानेर में किसानों ने करीब दो लाख 28000 हेक्टेयर में बुवाई की हुई है। इसमें ट्यूबवेल वाला हिस्सा छोड़ दें तो शेष हिस्से में बारिश और नहर का ही आसरा है। इस बार दोनों में पानी कम होने से अधिकांश हिस्सा फसल नहीं ले पायेगा। किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल होने वाला है।चूरू में बीकानेर से ज्यादा दो लाख 60 हजार हेक्टेयर, श्रीगंगानगर में दो लाख 58 हजार हेक्टेयर व हनुमानगढ़ में चार लाख 14 हजार हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है।

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