नाभिकीय संलयन ऊर्जा के भविष्य में उपयोग बताए
बुधवार को प्रोफेसर राजेश श्रीवास्तव ने छात्राओं को नाभिकीय संलयन ऊर्जा के भविष्य में उपयोग एवं प्रकारों पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही उन्होंने छात्राओं को समझाया कि सात देशों के सामूहिक सहयोग से नाभिकीय संलयन पर आधारित अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर यानी (आईटीईआर) मेगा प्रोजेक्ट की शुरुआत 21 नवंबर 2006 में हुई थी। इस मेगा प्रोजेक्ट से लगभग 500 मेगावाट की नाभिकीय संलयन ऊर्जा प्राप्त करके इसका उपयोग बिजली बनाने और अन्य उपयोगी कार्यों में भी किया जा सकता है। इस ऊर्जा का हमारे पर्यावरण पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है। ऑनलाइन व्याख्यान का उद्देश्य छात्राओं को अति आवश्यक जानकारी देना था ताकि भविष्य में उन्हें लाभ प्राप्त हो सके। मौके पर छात्राओं ने प्रोफेसर राजेश श्रीवास्तव से कुछ प्रश्न पूछकर जिज्ञासा को शांत किया।