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कोहिनूर की प्रदर्शनी लगाएगा ब्रिटेन का शाही परिवार जीत के प्रतीक के तौर पर रखा जाएगा, मुगलों से सिखों तक का इतिहास दिखेगा

ब्रिटेन में कोहिनूर हीरे को ‘विजय के प्रतीक’ के तौर पर टावर ऑफ लंदन में प्रदर्शित किया जाएगा। इसे 26 मई से आम लोगों के देखने के लिए खोला जाएगा। ब्रिटेन में राजघराने के बाकी क्राउन ज्वेल्स के साथ कोहिनूर को भी शामिल किया जाएगा। ब्रिटेन में पैलेस को मैनेज करने वाली चैरेटी हिस्टॉरिक रॉयल पैलेसेज ने कहा- कोहिनूर को प्रदर्शित करने के साथ ही कई वीडियो और प्रेजेंटेशन्स के जरिए इसका इतिहास भी बताया जाएगा।

कई सामानों और वीडियो के इस्तेमाल से बनी प्रेजेंटेशन में कोहिनूर के पूरे सफर को दिखाया जाएगा। इसमें ये भी बताया जाएगा कि कैसे ये अपने पिछले सभी ओनर जैसे मुगल सम्राट, ईरान के शाहों, अफगानिस्तान के शासक और सिख महाराजा के लिए विजय का प्रतीक रहा है।

किंग चार्ल्स की ताजपोशी के बाद लगेगी प्रदर्शनी
टावर ऑफ लंदन के गवर्नर एंड्र्यू जैक्सन ने कहा- ये साल हमारे लिए ऐतिहासिक है। ब्रिटेन के नए किंग चार्ल्स की ताजपोशी 6 मई को होनी है। टावर ऑफ लंदन भी इसमें अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। ताजपोशी के ठीक बाद कई कीमती क्राउन ज्वेल्स की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। हमारा मकसद लोगों को इस कलेक्शन के बारे में जानकारी देना है।

कैमिला नहीं पहनेंगी कोहिनूर जड़ा ताज
इससे पहले ब्रिटेन की नई रानी यानी किंग चार्ल्स-III की पत्नी कैमिला ने ताजपोशी के दौरान क्वीन एलिजाबेथ का कोहिनूर जड़ा ताज नहीं पहनने की घोषणा की थी। दरअसल, रॉयल फैमिली को भारत के साथ रिश्ते बिगड़ने का डर था, जिसे देखते हुए ये फैसला किया गया। इसके बाद कैमिला के लिए क्वीन मैरी का 100 साल पुराना क्राउन तैयार करने की बात सामने आई थी।

भारत कई बार कोहिनूर वापस मांग चुका है
महारानी के ताज में दुनिया के कई बेशकीमती हीरे-जवाहरात जड़े हुए हैं, जिनमें कोहिनूर और अफ्रीका का हीरा ग्रेट स्टार ऑफ अफ्रीका शामिल हैं। इसकी कीमत करीब 40 करोड़ डॉलर आंकी गई है। भारत ने ब्रिटेन के सामने कई बार कोहिनूर हीरे पर अपना कानूनी हक होने का दावा किया है। भारत की तरह अफ्रीका ने भी कई बार ब्रिटेन के शाही ताज में जड़े अपने बेशकीमती हीरे लौटाने की मांग की है।

कई देश करते हैं कोहिनूर पर अपना दावा
कोहिनूर हीरे का इतिहास विवादों से भरा रहा है। कहा जाता है कि साल 1849 में जब अंग्रेजों ने पंजाब पर कब्जा किया तो इस हीरे को ब्रिटेन की तब की महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था। बाद में इसे और कई हीरों के साथ ब्रिटेन के शाही ताज में लगा दिया गया। भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और ईरान भी इस हीरे पर अपना दावा कर चुके हैं।

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