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क्या दिल्ली में आम आदमी पार्टी-कांग्रेस का झगड़ा बीजेपी के लिए संजीवनी साबित होगा?

विपक्षी दलों की मेगा बैठक के बाद INDIA महागठबंधन का ऐलान हुआ, जिसमें 26 बड़े और छोटे विपक्षी दल शामिल हैं. कहा गया कि बीजेपी को 2024 लोकसभा चुनाव में यही गठबंधन टक्कर देगा. हालांकि एक महीने में ही इस गठंबधन में फूट की खबरें सामने आने लगी हैं. दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों को लेकर जुबानी जंग तेज हो गई है. जिसके बाद INDIA गठबंधन के भविष्य पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं, साथ ही इस फूट के बीच बीजेपी भी मौके का फायदा उठा सकती है.

कांग्रेस की बैठक के बाद शुरू हुआ बवाल
पहले पूरा मामला जानते हैं कि आखिर दिल्ली की राजनीति में क्या चल रहा है. एक दिन पहले दिल्ली के कांग्रेस नेताओं ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक की. इसके बाद कांग्रेस नेता अलका लांबा ने एक बयान दिया, जिसने दिल्ली की सियासत और विपक्षी गठबंधन में हलचल पैदा कर दी.

दिल्ली कांग्रेस नेता अलका लांबा ने कहा कि कांग्रेस की तीन घंटे से ज्यादा चली बैठक में संगठन की कमियों और लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा, ‘‘हमें सभी सात सीटों पर मजबूती से काम करने का निर्देश दिया गया है. गठबंधन करना है या नहीं, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन हमें सातों सीटों पर तैयारी करने को कहा गया है.”

अलका लांबा के बाद कांग्रेस से इसी तरह के और भी बयान सामने आए. कांग्रेस के दिल्ली मामलों के एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया ने बैठक को लेकर बताया कि बैठक आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी. उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली कांग्रेस ने अपना प्रस्ताव रखा कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार की जनविरोधी नीतियों का जमीनी स्तर पर विरोध किया जाएगा.

आम आदमी पार्टी ने दिया जवाब
लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस नेताओं के बयानों के बाद आम आदमी पार्टी की तरफ से भी जवाब दिया गया. AAP ने सीधा विपक्षी गठबंधन INDIA पर ही सवाल उठा दिए. कांग्रेस नेताओं के बयान पर आम आदमी पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जब कांग्रेस गठबंधन नहीं करना चाहती तो फिर मुंबई में 31 अगस्त और एक सितंबर को होने वाली विपक्षी गठबंधन की बैठक में AAP के शामिल होने का कोई मतलब नहीं है.

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के अलावा INDIA गठबंधन के दो और दलों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. पश्चिम बंगाल में CPI(M) ने ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया है. पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने साफ किया कि बंगाल की स्थिति बाकी राज्यों से अलग है. जिसके बाद पार्टी की केंद्रीय समिति ने पश्चिम बंगाल इकाई को लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने की इजाजत दे दी.

बीजेपी देख रही मौका
INDIA गठबंधन के बाद भले ही बीजेपी ने एनडीए क बैठक बुलाकर अपनी ताकत दिखाई हो, लेकिन चुनावी जानकारों का कहना था कि कहीं न कहीं पार्टी इसे लेकर सतर्क हो गई है और चुनावी तैयारी और रणनीति तेज कर दी गई है. इसी बीच अब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे बड़े दलों के बीच शुरू हुए झगड़े को बीजेपी मौके की तरह भुना सकती है. दिल्ली में सभी सात लोकसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, ऐसे में कांग्रेस और AAP का साथ आने से उसे नुकसान झेलना पड़ सकता था, लेकिन अगर कांग्रेस नेताओं की बात सच साबित हुई तो ये बीजेपी के लिए एक बहुत बड़े मौके की तरह होगा.

रणनीतिक तौर पर भी फायदा
बीजेपी के लिए INDIA गठबंधन में फूट रणनीतिक तौर पर काफी फायदेमंद है, यानी इसका असर सिर्फ दिल्ली पर नहीं बल्कि बाकी राज्यों में भी दिखेगा. फूट के बाद बीजेपी नेता तमाम बड़े मंचों से विपक्षी एकता पर तंज कसेंगे और नेतृत्व पर सवाल खड़े होंगे, जिसका सीधा फायदा पार्टी को चुनाव में मिलेगा और विपक्ष के लिए ये एक बड़ी किरकिरी साबित होगी.

अब ये देखना दिलचस्प होगा कि पिछली बार की तरह इस बार भी विपक्षी गठबंधन टूट जाता है या फिर गठबंधन की अगुवाई करने वाले नीतीश कुमार जैसे नेता इस झगड़े को सुलझा पाने में सफल होते हैं.

 

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