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भाजपा में चल रही है बदलाव की बयार

कभी चाल, चरित्र व चेहरा की बात करने वाली भाजपा में अब बड़े बदलाव की बयार चल रही है। इन दिनो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नई भाजपा बन रही है। पार्टी के सभी पुराने छत्रपों को एक-एक कर किनारे लगाया जा रहा है। प्रदेशों में भाजपा के बड़े नेताओं को सक्रिय राजनीति से दूर कर घर बैठा दिया गया है। जो थोड़े बहुत पुराने नेता अभी सक्रिय है उनको भी अगले लोकसभा चुनाव तक राजनीति से आउट कर दिया जाएगा।
2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे। तब पार्टी में बड़ी संख्या में बुजुर्ग नेताओं का दबदबा कायम था। लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज जैसे बड़े नेताओं की पार्टी में तूती बोलती थी। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे बड़े नेताओं को सक्रिय राजनीति से दूर किया गया था। उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बड़ी संख्या में पुराने नेताओं के टिकट काटकर उनके स्थान पर नए लोगों को आगे लाया गया था। कई प्रदेशों के विधानसभा चुनाव में भी वर्षों से जमे वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर नए लोगों को मुख्यमंत्री बनाया गया। अब ऐसा लगता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा पूरी तरह से बदल जाएगी। पार्टी नेतृत्व में ऐसे लोगों की बहुलता होगी जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना नेता मानते हैं।
कभी भाजपा में संगठन का बहुत महत्व होता था। संगठन से जुड़े लोगों को ही राजनीति में आगे बढ़ने का अवसर मिलता था। मगर अब स्थिति उसके एकदम उलट हो गई है। आज पार्टी में संगठन का महत्व पहले की तुलना में कम हो गया है। भाजपा का अब एक ही ध्येय रह गया है की जिताऊ प्रत्याशी को मैदान में उतार जाए। दूसरे दलों से आने वालों को पार्टी में महत्व मिल रहा है। इससे पार्टी के मूल कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे हैं।

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